अब आप मुझे बाहर नहीं कर सकते
मैं न रहूँ
तब भी
मैं रहूँगा
आपके कमरे में
एक किताब बनकर
आपकी मेज़ पर सोया रहूँगा
या आपकी
गाडी की पिछली सीट पर
सेंकता रहूँगा
सर्दियों की धूप
और सुनता रहूँगा
आपकी बातें
या कोई ग़ज़ल
या कोई संगीत की तान
नहीं सुनूंगा खबरें
वे तब भी वही होंगी
जो आज हैं
पर सुनूंगा ज़रूर आपकी बातें
बोलूँगा ज़रूर
आपकी ज़बान पर चढ़कर
आप चाहें भी तो
अपनी ज़बान से
नहीं फेंक सकेंगे
गाडी से बहार
सुनेंगे मेरी बातें
अपनी साँसों के साथ
अब आप मुझे कैसे कर सकते हैं बहार
अपनी दुनिया से .