मित्रो
इस बार संचेतना के ताज़ा अंक (दिसम्बर २००९) में मेरे नाटक अन्वेषक पर कुछ महत्वपूर्ण सामग्री है. यह पत्रिका ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है. यहाँ सिर्फ उसका मुखपृष्ठ दे रहा हूँ. सूचनार्थ. पढने के पत्रिका का अंक देखें या फिर इसके संपादक डॉ. महीप सिंह , एच-१०८, शिवाजी पार्क, पंजाबी बाग़, नई दिल्ली-११००२६ से संपर्क करें.
अनोखा विज्ञापन: जब यू-ट्यूब विडियो से निन्जा बाहर कूद पड़े
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बहुत सालों पहले, जब यू-ट्यूब नही था तब एक जावा स्क्रिप्ट बहुत पोपुलर थी जो
वेब पेज में लिखे हुए को इधर उधर घुमा देती थी, फोटुओं वाले पेज की फोटो बिखरा
देती...
13 वर्ष पहले
बधाई!
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिए धन्यवाद .. बधाई !!
जवाब देंहटाएंबधाई,
जवाब देंहटाएंवैसे तो मुझे हर बार अंक मिल ही जाता है पर इस बार अभी तक नहीं मिला है। नहीं मिला तो आपके यहां लेने आने का सुखद बहाना रहेगा।
वैसे मुखपृष्ठ अच्छे मुखड़े के चलते अच्छा बन गया है।
सप्रेम
जनमेजय
पढा . प्रशंसनीय ।
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