बुधवार, 5 मई 2010

घर


उन्होंने जगह तय कर ली है

मेरे घर की बालकनी की छत का एक कोना

तय कर लिया है उन्होंने

कि वे अपना घर यहीं बनाएंगे

वे दोनों बहुत जल्दी में हैं

कि कब घर बने और

कब बसे उनका घर-संसार

कबूतर एक-एक तिनका कमा कर लाता है

कबूतरी बड़े जतन से

एक-एक तिनके को सहेज-संभाल कर

कबूतर की चोंच से लेती है

और तामीर करती है

अपना घर-संसार

पूरा दिन - यानी उनकी उम्र का

एक हिस्सा लग जाता है

उन्हें घर बनाने में।

घर बन गया है

कबूतर नाच-नाच कर रिझा रहा है

कबूतरी को

कबूतरी नखरैल होकर

इधर-उधर घूमती है

थोड़ी देर पहले

दोनों जुटे हुए थे घर तामीर करने में

घर तामीर करने की खुशी में

सारा दिन खटने के बाद भी

थके नहीं वे दोनों

नाच-झूम कर प्रवेश करना चाहते

एक-दूसरे की आत्मा में

और बसाना चाहते हैं

अपना घर-संसार

कितनी बड़ी है यह दुनिया

जो सिमट कर रह जाती है

एक छोटे से घर में

उस छोटे से घर के छोटे से

घर-संसार में।