बुधवार, 26 अगस्त 2009

मेरा होना बना रहेगा

अब आप मुझे बाहर नहीं कर सकते
मैं न रहूँ
तब भी
मैं रहूँगा
आपके कमरे में
एक किताब बनकर
आपकी मेज़ पर सोया रहूँगा
या आपकी
गाडी की पिछली सीट पर
सेंकता रहूँगा
सर्दियों की धूप
और सुनता रहूँगा
आपकी बातें
या कोई ग़ज़ल
या कोई संगीत की तान
नहीं सुनूंगा खबरें
वे तब भी वही होंगी
जो आज हैं
पर सुनूंगा ज़रूर आपकी बातें
बोलूँगा ज़रूर
आपकी ज़बान पर चढ़कर
आप चाहें भी तो
अपनी ज़बान से
नहीं फेंक सकेंगे
गाडी से बहार
सुनेंगे मेरी बातें
अपनी साँसों के साथ
अब आप मुझे कैसे कर सकते हैं बहार
अपनी दुनिया से .

मायाजाल

मायाजाल
गुफाओं में प्रवेश करना
बहुत मुश्किल होता है
द्वार पर
कई-कई रंगों की लगी सांकलें
प्रवेश रोकती हैं
संभ्रम का प्रभामंडल होता है आसपास
टूटती हैं सांकलें कभी-कभी
फिर मिलते हैं
कई-कई द्वार
कौन सा द्वार
कहां ले जाए
कुछ भी अनुमान नहीं होता पहले से

प्रवेश के बाद भी
कई-कई द्वार
और कई-कई सांकलें

द्वारों की चोखटों के नीचे दबे
स्वप्नों का रंग झलकता है
पकड़ में नहीं आता
स्वप्न-दृश्य
और द्वारों के बीच खुलने लगते हैं
और और द्वार
द्वारों के मायाजाल में फंसा
आदमी क्या करें ?