सोमवार, 27 अप्रैल 2009

मेरी राय........आपकी राय

मेरी राय ..........आपकी राय

हिंदू समाज में विवाह के समय कन्यादान की प्रथा प्रचलित है। कन्यादान पिता हैं तो पिता द्वारा और पिता किसी भी कारण से अनुपस्थित हैं तो भाई या किसी नजदीकी रिश्तेदार द्वारा किया जाता है। यानि कन्यादान विवाह की एक अनिवार्यता है । कन्यादान के साथ पुण्य फल को भी जोड़ा जाता है । मेरी राय में यह एक मध्यकालीन और अतार्तिक प्रथा है । दान की गई वस्तु से तो व्यक्ति का रिश्ता हमेशा के लिये समाप्त हो जाता है, लेकिन बेटी से सम्बन्ध तो जीवन पर्यंत बना रहता है । फिर कन्या कोई वस्तु नहीं है , जिसे दान दिया जा सके । आज के समय में यह प्रथा पिछडी हुई तो है ही , शर्मनाक भी है । इस प्रथा के साथ जुड़े अंधविश्वासों से मुक्ति पाना ज़रूरी है
कानूनी तौर पर इस प्रथा से शायद जल्दी छुटकारा न मिले लेकिन इस के विरोध में जनमत बनाकर इससे मुक्त हुआ जा सकता है । इस सम्बन्ध में आपके क्या राय है ?