सोमवार, 7 जुलाई 2008

धर्म

मेरी एक पुरानी कविता

धर्म

धर्म ने हमसे बहुत कुछ लिया है
बदले में
गिद्ध की आँख
हाथी के दांत और
कबूतर का दिल दिया है