मेरी एक पुरानी कविता
धर्म
धर्म ने हमसे बहुत कुछ लिया है
बदले में
गिद्ध की आँख
हाथी के दांत और
कबूतर का दिल दिया है
अनोखा विज्ञापन: जब यू-ट्यूब विडियो से निन्जा बाहर कूद पड़े
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बहुत सालों पहले, जब यू-ट्यूब नही था तब एक जावा स्क्रिप्ट बहुत पोपुलर थी जो
वेब पेज में लिखे हुए को इधर उधर घुमा देती थी, फोटुओं वाले पेज की फोटो बिखरा
देती...
13 वर्ष पहले
bloggers ki azaad duniya men aapka swagat hai.
जवाब देंहटाएंprabhat ranjan
ब्लागिंग की दुनिया में आपका स्वागत हॆ,गुरुवर! आज के इस तथाकथित’धर्म’ने इंसान को डरपोक ऒर आक्रामक बना दिया हॆ.आपकी यह सारगर्भित रचना,लगभग 14-15 साल पहले,आपके निवास स्थान पर,आयोजित काव्य-गोष्ठी में सुनी थी.पुरानी यादें फिर से ताजा हो गईं. धर्म पर ही आपकी एक ऒर कविता हॆ,उसे भी लिखें.
जवाब देंहटाएंधर्म पर आपके विचार् जान कर बड़ा अच्छा लगा
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