शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

KUCHH SAMAJHHA AAPNE

कुछ समझा आपने

कुछ देखा आपने
हाल में अँधेरा हुआ
और मंच आलोकित हो उठा

कुछ सुना आपने
हाल में खामोशी हुई 
सूत्रधार अपना वक्तव्य देने लगा
और खामोशी सन्नाटे में बदल गयी

कुछ सोचा आपने
कि वक्तव्य देने के लिए
अँधेरा और खामोशी
कितनी ज़रूरी है .

ग़फलत में न रहें
सावधान होकर सोचें
आपको अंधरे में डालना
और खामोशी से बांधना
कितना वाजिब है
कितना मुनासिब.

वक्तव्य दिया सूत्रधार ने
संगीत की लय
और पांवों की ताल के साथ
वक्तव्य दिया सूत्रधार ने
गौर किया आपने
पूरा नाटक ख़त्म हो गया
पर सूत्रधार का वक्तव्य नहीं

देखा आपने
प्रकाश ने फिर फैलकर आपको
अपनी बांहों में भर लिया
आपने भी भर लिया
प्रकाश को
अपनी आत्मा में
चल दिए दर्शक दीर्घा से बाहर
वक्तव्य को हनुमान चालीसा
बनाकर

ध्यान दिया आपने
कि आपके हाथ
वहीं कहीं तो नहीं रह गए
चिपके हुए कुर्सी के हत्थों के साथ
या पाँव
धंसे हुए फर्श में
या आँखें
या सिर
वहीं कहीं हवा में घुले
सूत्रधार के वक्तव्य के साथ .

कुछ समझा आपने ?

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