अब आप मुझे बाहर नहीं कर सकते
मैं न रहूँ
तब भी
मैं रहूँगा
आपके कमरे में
एक किताब बनकर
आपकी मेज़ पर सोया रहूँगा
या आपकी
गाडी की पिछली सीट पर
सेंकता रहूँगा
सर्दियों की धूप
और सुनता रहूँगा
आपकी बातें
या कोई ग़ज़ल
या कोई संगीत की तान
नहीं सुनूंगा खबरें
वे तब भी वही होंगी
जो आज हैं
पर सुनूंगा ज़रूर आपकी बातें
बोलूँगा ज़रूर
आपकी ज़बान पर चढ़कर
आप चाहें भी तो
अपनी ज़बान से
नहीं फेंक सकेंगे
गाडी से बहार
सुनेंगे मेरी बातें
अपनी साँसों के साथ
अब आप मुझे कैसे कर सकते हैं बहार
अपनी दुनिया से .
अनोखा विज्ञापन: जब यू-ट्यूब विडियो से निन्जा बाहर कूद पड़े
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बहुत सालों पहले, जब यू-ट्यूब नही था तब एक जावा स्क्रिप्ट बहुत पोपुलर थी जो
वेब पेज में लिखे हुए को इधर उधर घुमा देती थी, फोटुओं वाले पेज की फोटो बिखरा
देती...
13 वर्ष पहले
भाई साहब
जवाब देंहटाएंआपको ब्लाग प्रदेश में पा कर अच्छा लगा। बेहद जरूरी है तकनीकी विकास का फायदा उठाकर उसके साथ कदम से कदम मिलाकर चलना औरपूरी दुनिया में पाठक वर्ग तक पहुंचना।
और कहां मिलेगी ये मस्ती कि अभी लिखा, अभी पोस्ट किया औरअभ्ी ही पूरी दुनिया में प केवचल छा गये बल्कि पाठकों की राय भी ले ली। खुश आमदीद
सूरज
09930991424
बहुत बढिया रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है बधाई
जवाब देंहटाएंJaayaz.
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
मेरा कहना इन पंक्तियों के सम्बंध में था-
जवाब देंहटाएं"अपनी साँसों के साथ
अब आप मुझे कैसे कर सकते हैं बहार
अपनी दुनिया से"
ओह आप अविनाश वाचस्पति जी से ब्लॉग साझा कर लिऎ ?अच्छी बात !
जवाब देंहटाएंकविता में हमेशा की ही तरह दम है !वैसे भी अब आप ब्लॉग जगत में आ गए हैं अब तो होना बना ही रहेगा !किसी पोस्ट को लिख कर किसी विमर्श में उलझकर ,किसी के ब्लॉग रोल में सजकर ,किसी के द्वारा लिंक पाकर , किसी को लिंक देकर ....आदि होना बना रहेगा :)
नीलिमा