कहा तो था तुमने
ख़त लिखने को
और मैंने
सिर्फ़ शिकायतें दर्ज कीं
कहा तो था तुमने
मिलने को भी कभी
और मैं
रास्तों को
नक्शों में तब्दील करता रहा
कहा तो था तुमने शायद
फोन करना
थोडी शाम ढलने के बाद
और मैं गुमसुम
हवाओं के पर काटता रहा
मालूम नहीं
हर बार
कुछ होना
कुछ और क्यों होता रहा !
अनोखा विज्ञापन: जब यू-ट्यूब विडियो से निन्जा बाहर कूद पड़े
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बहुत सालों पहले, जब यू-ट्यूब नही था तब एक जावा स्क्रिप्ट बहुत पोपुलर थी जो
वेब पेज में लिखे हुए को इधर उधर घुमा देती थी, फोटुओं वाले पेज की फोटो बिखरा
देती...
13 वर्ष पहले
वाह अच्छी कविता पढवाई आपने ! यदि आप अपने ब्लॉग की सेटिंग्स में सर्च इंजनस को अपना ब्लॉग फालो करने की इजाज़त वाले खाने में हामी भर देगे तो ये इंजनस आपको खोद ही लेंगे और आपकी पोस्ट को तुरंत दिखाने लगेंगे !
जवाब देंहटाएंहोना वो नहीं होता
जवाब देंहटाएंजो मन के कोने में
छिपा होता है
होता है वही जो
मंजूरे खुदा होता है
या जो राम रचि राखा।
ब्लॉग जगत में सक्रियता के लिए बधाई ! अब देवनागरी में लिख भर लेने की कमी है ! :)
जवाब देंहटाएंYou are A very good poet .I love you
जवाब देंहटाएंaap ke vichar pragatigami hen
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