इस तरह से शायद हम कोई आम राय बना सकते है.
मेरी राय है कि सार्वजनिक स्थानो पर बने सभी अवैध निर्माणों को
हटा देना चाहिये चाहे वे मन्दिर मस्जिद या गुरुद्वारे क्यों न हों
आप क्या कहते है ?
मेरी राय है कि सार्वजनिक स्थानो पर बने सभी अवैध निर्माणों को
हटा देना चाहिये चाहे वे मन्दिर मस्जिद या गुरुद्वारे क्यों न हों
आप क्या कहते है ?
मैं आपकी राय से पूरी तरह सहमत हूं। अगर इस कार्य में मेरा श्रमदान चाहिए, तो मैं स्वेक्षा से कार सेवा करने को तैयार हूं। मुस्लमान होने के नाते किसी भी अवैध तरीके से बनी मस्जिद पर पहला हथौड़ा मुझे चलाने का मौका दिया जाना चाहिए। ताकि, किसी को ये भ्रम न रहे कि यह किसी द्वेष के साथ कार्रवाई हो रही है। मुस्लमान मजदूरों से मस्जिदें तोड़वाई जायें और हिन्दू मजदूर खुद मंदिरों को हटायें। इससे दो फायदे होंगे। आलमी भाईचारे की दीवार भी नहीं टूटेगी और धर्म के प्रति आस्था को ध्यान में रखकर लोग अवैध निर्माण हटाते समय उग्रता का भाव भी नहीं दिखायेंगे।
जवाब देंहटाएंआपसे सहमति है। लेकिन जहाँ अवैध बस्तियों को भी वैधता दी जा रही है (वोट बैंक बनाने के लिये), वहाँ और क्या अपेक्षा रख सकते हैं?
जवाब देंहटाएं"क्या सूरज पूर्व से उगता हैं ?" इस तरह के TV पहेलीनुमा विषयों से बचना चाहिए क्योंकि इनका केवल एक ही उत्तर होता है. इसलिए बहस की गुंजाइश ख़त्म हो जाती है.
जवाब देंहटाएंप्रताप सहगल जी ने बहुत क्रांतिकारी प्रश्न पूछ लिया है। सच तो यही है कि पहले आपको वैध और अवैध की परिभाषा तय करनी पड़ेगी। राजनीतिज्ञ रातों-रात अवैध को वैध बना देते हैं। मुझे याद है और प्रतापजी को भी याद होगा कि 1986-87 में मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह जी ने जो आजकल केन्द्रीय शिक्षा मंत्री हैं मप्र की तमाम अवैध बस्तियों को रातों-रात वैध घोषित कर दिया था। तो पहले तो इस सवाल से निपटिए। फिर आप सबसे पहले इसमें धर्म को क्यों ले आए। अगर सवाल धार्मिक स्थलों की वैधता या अवैधता का है तो सीधे उसे ही रखिए ना। ताकि कुछ सार्थक बहस हो।
जवाब देंहटाएंअन्यथा सबका समय बरबाद करने का क्या औचित्य । अविनाश जी बुरा न माने मुझे लगता है आपको भी ऐसे सवालों को नुक्कड़ में लेते समय कुछ सोच-विचार तो करना ही होगा।
अगर निर्माण अवैध है तो फ़िर वो निर्माण सिर्फ़ और सिर्फ़ अवैध भवन हो सकता है,जो अवैध है वो कभी मंदिर,मस्ज़िद नही हो सकता। और किसी भी अवैध निर्माण को तत्काल हटा दिया जाना चाहिये।
जवाब देंहटाएंमानस के मोती गूगल समूह में प्राप्त प्रतिक्रिया :-
जवाब देंहटाएंसौ प्रतिशत सहमति ! सार्वजनिक स्थानों पर अवैध निर्माण - चाहे सामाजिक हो,व्यक्तिगत हो(किसी बाहुबली, धनी या राजनीतिज्ञ का), धार्मिक हो या राजनीतिक हो - हटना चाहिए। मन्दिर,मस्जिद और गुरुद्वारा यदि सामाजिक (या व्यक्तिगत स्थान) पर अवैध रूप से निर्मित है तो उसकी धार्मिकता इस अवैधता से ही विनष्ट हो जाती है। तो ऐसे 'अधार्मिक' व अन्य किसी भी तरह के अवैध निर्माण को बिना किसी पूर्वाग्रह एवं संकोच के ध्वंस करना ही अपने में धार्मिक एवं नैतिक कार्य है। मैं पूरी तरह सहगल जी से सहमत हूँ।
दीप्ति
पुणे (महाराष्ट्र)
आपकी राय तो अच्छी है, लेकिन जब तक इस देश में स्वार्थी राजनेता हैं, ऐसा होना असम्भव है।
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